बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य

बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य (Barnawapara Wildlife Sanctuary) छत्तीसगढ़ राज्य, भारत में स्थित एक प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य है। यह अभयारण्य क्षेत्र महत्वपूर्ण पक्षी और वन्यजीवों को संरक्षित करने के लिए समर्पित है और यह नेशनल पार्क और तीर्थस्थल के रूप में भी मशहूर है। इसका स्थापना वर्ष 1976 में हुई थी और यह वानिकी प्रदेश की धर्मपुर और महासमुंद जिलों में स्थित है।
बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य एक विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है और इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 245 वर्ग किलोमीटर है। यहाँ पर्यावरणीय संतुलन, वन्यजीव विविधता और प्राकृतिक सुंदरता की अद्वितीयता का आनंद लिया जा सकता है। अभयारण्य में घने वन, घास के मैदान, नदीया और झीलें मौजूद हैं जो इसे वन्यजीवों के लिए आदर्श आवास स्थल बनाती हैं।
यहाँ विभिन्न प्रकार के वन्यजीव और पक्षी देखे जा सकते हैं। इस अभयारण्य में भालू, बाघ, छित्ता रेवा, सांभर, नीलगाय, मृग, सांगै, मौन्टन रियर और विभिन्न प्रकार के वन्य पशु देखे जा सकते हैं। यहाँ कई प्रकार के सांप और सरीसृप भी पाए जाते हैं।
इसके अलावा, बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य प्रमुख अंधश्रद्धा और वन्यजीव संरक्षण केंद्रों में से एक है। यहाँ वन्यजीव अभयारण्य प्रबंधन और संरक्षण की अद्वितीय पहचान है। यहाँ कई अध्ययन केंद्र और प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित हैं जहाँ वन्यजीव और पक्षियों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है।
बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य का मुख्य उद्देश्य वन्यजीवों की संरक्षा और उनके संरक्षण की जगह का निर्माण करना है। यहाँ वन्यजीव संरक्षण, प्रजनन, जैव आवास, औद्योगिक प्रबंधन और वन्यजीव संग्रह के क्षेत्र में कई पहल की जाती है।
बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य को यात्रियों के लिए आकर्षक और मनोरंजक स्थल माना जाता है। यहाँ आने वाले यात्रियों को प्राकृतिक सुंदरता, वन्यजीव दर्शन और प्रकृति के साथ एक मनोहारी अनुभव मिलता है। इसके आसपास के क्षेत्र में आवास और पर्यटन सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जो आने वाले यात्रियों को आरामदायक रहने में मदद करती हैं।
इस अभयारण्य में सफारी, जंगली ट्रैकिंग, पक्षी देखभाल और फोटोग्राफी की सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं। यहाँ प्राकृतिक सुंदरता को अनुभव करने के लिए यात्रियों को विभिन्न आकर्षण भी मिलते हैं, जिनमें झरने, झीलें, पेड़-पौधों से घिरे मनमोहक मार्ग शामिल हैं।
बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहाँ प्रकृति और वन्यजीवों का आनंद लिया जा सकता है। यहाँ की अनूठी प्राकृतिक संपदा, भव्य वन्यजीव और शानदार वातावरण आपको एक यात्रा के दौरान रोमांचित करेंगे। इसलिए, यदि आप अपने अगले यात्रा का लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं, तो बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य एक मनोहारी और अद्वितीय स्थल हो सकता है जहाँ आपको प्रकृति का संगम और वन्यजीवों के साथ एक अनुभव मिलेगा।
तीरथगढ़ वॉटरफॉल

तीरथगढ़ वॉटरफॉल हिमाचल प्रदेश, भारत में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह वाटरफॉल अपनी प्राकृतिक सुंदरता, उच्चतम वाटरफॉल के रूप में अपनी मान्यता, और आकर्षक पर्यावरण के लिए प्रसिद्ध है। तीरथगढ़ वॉटरफॉल एक खूबसूरत नदी के ऊपर स्थित है और इसकी ऊंचाई लगभग 100 मीटर है।
यह वाटरफॉल गर्मियों में खूबसूरत प्राकृतिक वातावरण, छोटे जलप्रपात और शांत माहौल के लिए प्रसिद्ध है। यह वाटरफॉल एक प्रमुख पिकनिक स्थल है और स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यहाँ पर्यटक स्नान का आनंद लेते हैं और मनोरंजन के लिए वाटरफॉल के नीचे घूमने का मजा लेते हैं। यह एक प्राकृतिक ठहराव स्थल है जहां लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिता सकते हैं और स्वयं को मनोहारी प्राकृतिक वातावरण में डूब सकते हैं।
तीरथगढ़ वॉटरफॉल के आसपास का पर्यटन स्थल भी दिलचस्प है। वहाँ कई आवासीय हॉटल, धार्मिक स्थल और रेस्तरां हैं जो पर्यटकों को आरामदायक और सुविधाजनक रहने की सुविधा प्रदान करते हैं। यहाँ अवसर है अपने आपको रेडीटेड करने का, हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत प्रकृति का आनंद लेने का, और आराम करने का।
तीरथगढ़ वॉटरफॉल के पास विभिन्न प्रकृति की सुंदरता है जिन्हें देखने के लिए यहाँ आने वाले पर्यटकों को खुशी होती है। आस-पास के जंगलों में वन्यजीवों की विविधता है और इसका पर्यटन क्षेत्र को एक और महत्वपूर्ण आकर्षण बनाता है। यहाँ पर्यटक चिड़ियाघर जा सकते हैं और वन्य जीवों के संपर्क में आ सकते हैं। यहाँ एक्सकर्शन और जंगल सफारी भी आयोजित की जाती हैं जिनमें आप वन्यजीवों को देखने का मजा ले सकते हैं।
इसके अलावा, तीरथगढ़ वॉटरफॉल का महत्वपूर्ण धार्मिक महत्त्व भी है। यह वाटरफॉल हिमाचल प्रदेश में स्थित माता ज्वाला देवी मंदिर के पास स्थित है, जिसे भारतीयों के लिए महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए, यह जगह धार्मिक यात्राओं के लिए भी आकर्षक है।
तीरथगढ़ वॉटरफॉल एक प्रमुख आकर्षण है जो प्राकृतिक सुंदरता का आदर्श उदाहरण है। यहाँ आने वाले पर्यटकों को शांति और आनंद का एक अनूठा अनुभव मिलता है। यह जगह पर्यटकों को अपनी थकान और तनाव को दूर करने का एक सुंदर स्थान प्रदान करती है।
संक्षेप में कहें तो, तीरथगढ़ वॉटरफॉल हिमाचल प्रदेश की एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो प्राकृतिक सुंदरता, वन्यजीवों का संपर्क और आरामदायक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ आने वाले पर्यटक स्नान का आनंद लेते हैं, वन्यजीवों को देखते हैं, धार्मिक स्थलों का दर्शन करते हैं और स्वयं को प्राकृतिक सुंदरता में डूबते हैं। तीरथगढ़ वॉटरफॉल एक स्थान है जहाँ प्रकृति की गोद में विश्राम करने का आनंद लेने का अवसर मिलता है।
कोटमसर गुफा

कोटमसर गुफा भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक प्राचीन धार्मिक स्थल है। यह गुफा मालवा पठार पर स्थित है और महेश्वर नदी के किनारे स्थित है। यह गुफा प्राचीन काल में शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल रही है।
कोटमसर गुफा को मांडू के राजा भोज परिक्रमा करने वाले विश्वकर्मा के शिल्पकारों ने बनवाया था। इस गुफा का निर्माण पांचवीं शताब्दी में किया गया था और यह ज़मीन के नीचे स्थित होती है। यह गुफा पहले से ही एक गुफा में बदलकर बनाई गई थी, जो शिव के अनुयायों की धार्मिक आवश्यकताओं को पूरा करती थी।
कोटमसर गुफा का आकार लगभग 20 फुट ऊँचा, 20 फुट चौड़ा और 40 फुट लंबा है। इसमें चारों ओर स्तंभों और छत्रों के विशाल नक्काशी उभरी हुई है। गुफा के अंदर सदियों से पहले के काल की मूर्तियों की छवियाँ सुरक्षित हैं। इन मूर्तियों में प्राचीन शिवलिंग, नंदी बैल, पांडव पंचमुक्तिरूपी अग्नि, विष्णु, ब्रह्मा, गणेश और कार्तिकेय जैसे भगवानों की मूर्तियाँ हैं।
कोटमसर गुफा में प्रवेश करने के लिए विशाल बाइसेलिंग द्वार का उपयोग किया जाता है। गुफा में जगह कम होने के कारण, वहाँ विशाल सांध्राण रखे गए हैं जिन पर प्रवेश करके लोग अंदर जा सकते हैं। गुफा के अंदर की सुन्दरता, नक्काशी, और मूर्तियों की महत्वपूर्णता को देखते हुए यह स्थान धार्मिक और पर्यटन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
कोटमसर गुफा भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहाँ शिव के प्रतीक वस्त्र, रुद्राक्ष माला, और धार्मिक किताबें उपलब्ध हैं। यहाँ विश्राम और ध्यान के लिए शांतिपूर्ण वातावरण बनाया गया है, जहाँ आदर्श मेंढ़वों की विशेष धार्मिक आरतियाँ और पूजा-अर्चना की जाती है।
कोटमसर गुफा को प्राकृतिक और ऐतिहासिक महत्त्व के साथ एक विशेष स्थान के रूप में मान्यता दी जाती है। इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया गया है, जहाँ पर्यटकों को अपने आध्यात्मिकता के प्रतीक रूप में सुंदर वातावरण में आराम करने का मौका मिलता है। यहाँ पर्यटक शिव के अद्वितीय भक्ति स्थलों में से एक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
इसके अलावा, कोटमसर गुफा का सम्बंध जनसंख्या और स्थानीय आर्थिक विकास के साथ भी है। यह स्थान पर्यटन के द्वारा स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करता है और पर्यटन से जुड़ी सेवाओं के माध्यम से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करता है।
समर्थन और उत्थान के साथ संगठन की जरूरत होती है ताकि कोटमसर गुफा की संरक्षण की जा सके और इसे पर्यटन सेक्टर के माध्यम से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से, इसे सुरक्षित रखा जा सकता है और अधिक आर्थिक लाभ के साथ समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बना सकता है।
यदि हम कोटमसर गुफा के बारे में चर्चा करें, तो हम इसे एक सामरिक, धार्मिक और पर्यटन आधारित स्थल के रूप में महत्वपूर्ण मान सकते हैं। इसकी सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और आध्यात्मिक वातावरण इसे देश और विदेश से आने वाले लोगों के लिए आकर्षक बनाते हैं। यह स्थान सामरिकता, आध्यात्मिकता और पर्यटन को मिलाकर संपूर्ण अनुभव को पूरा करता है और लोगों को अद्वितीय और यादगार स्मृतियों का अनुभव करने का एक मौका प्रदान करता है।
ढोलकल गणेश

ढोलकल गणेश राजस्थान, भारत में स्थित एक प्रमुख पूजा स्थल है। यह स्थान बीकानेर जिले में स्थित है और गणेश भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। ढोलकल गणेश भगवान गणेश के प्रतीक रूप में जाना जाता है और यहाँ गणेश जयंती और गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों का धूमधाम से मनाया जाता है।
ढोलकल गणेश मंदिर का निर्माण राजपूत शासकों ने कराया था और इसका नाम “ढोलकल” उनके वीरता और संगठन क्षमता की ओर संकेत करता है। इस मंदिर का मुख्यालय जोधपुर राजवंश के महाराजा उमेदसिंह ने बनवाया था। मंदिर की शिलान्यास सन् 1460 में हुई थी और उसके बाद से यह मंदिर धार्मिकता, साहित्यिकता और कला का महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गया है।
ढोलकल गणेश मंदिर की स्थापना विशालकाय पहाड़ी पर की गई है। इसका वास्तुगत निर्माण मार्मिक अजमेरी पत्थर से किया गया है और इसकी शृंगारिक अद्यतित शिखर बहुत आकर्षक है। मंदिर के आंगन में स्थित एक विशाल द्वार द्वारा यह स्थान प्रवेशित होता है। मंदिर के अंदर एक विशेष साँवलिया रंग की मूर्ति है, जो गणेश को दर्शाती है।
ढोलकल गणेश मंदिर में गणेश भक्तों के लिए विशेष आराध्य स्थल हैं। यहाँ पर्यटकों को गणेश भक्ति, श्रद्धा और ध्यान के लिए अद्वितीय माहौल मिलता है। धार्मिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहाँ की मूर्ति को अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है और उसकी पूजा से भक्तों की आशीर्वाद और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
ढोलकल गणेश मंदिर के आस-पास के इलाके में एक बाजार है जहाँ पर्यटकों को धार्मिक वस्त्र, पूजा सामग्री, मूर्तियाँ और स्थानीय आदिवासी कला-संबंधित वस्तुएं खरीदने का अवसर मिलता है। यहाँ आपको राजस्थान की स्थानीय संस्कृति और तर्कशास्त्र की कला का अद्वितीय अनुभव होगा।
ढोलकल गणेश मंदिर एक धार्मिक और पौराणिक स्थल है जहाँ गणेश भक्तों को अद्वितीय आनंद और मानसिक शांति मिलती है। इसकी आस्था, सुंदरता और पौराणिक महत्व इसे एक विशेष स्थान बनाते हैं। यहाँ के धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भाग लेने का एक अद्वितीय अनुभव होता है और यहाँ आपको अपने मन की चिंताओं से राहत मिलती है।
ढोलकल गणेश राजस्थान की अनूठी पूजा स्थलों में से एक है और यहाँ आपको गणेश भक्ति का एक अद्वितीय अनुभव मिलेगा। इसकी प्राचीनता, महत्त्व और सुंदरता इसे एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल बनाती है। ढोलकल गणेश मंदिर आपकी आत्मा को शांति, संतोष और आनंद प्रदान करता है और आपको गणेश भगवान के निकट संपर्क में ले जाता है
देवरानी जेठानी मन्दिर

देवरानी जेठानी मन्दिर भारत के राजस्थान राज्य में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मन्दिर भारतीय परंपरा में विशेष महत्त्व रखता है और इसे देवी जेठानी की पूजा करने के लिए जाने वाली स्त्रियों द्वारा प्रमुखता से धार्मिक आस्था का केंद्र बनाया जाता है।
देवरानी जेठानी मन्दिर की कहानी प्राचीन धार्मिक और पौराणिक कथाओं से जुड़ी है। यह कथा मानवीय रिश्तों, पत्नी के प्यार और प्रेम के महत्व को प्रकट करती है। मन्दिर के प्रांगण में एक मूर्ति है जो देवी जेठानी को प्रतिष्ठित करती है। यह मूर्ति संतोष, सौभाग्य और पति-पत्नी के बीच विशेष सम्बन्ध का प्रतीक है।
देवरानी जेठानी मन्दिर को स्थापित करने की कथा इस प्रकार है – एक समय की बात है, एक गांव में एक युवती रहती थी जिसका नाम जेठानी था। उसके पति का नाम एक युवक जिसका नाम देवरानी था। जेठानी बड़ी पतिव्रता और सम्मान वाली स्त्री थी और उसका पति उसे बहुत प्रेम करता था। उनका जीवन सुखी और समृद्धि से भरा था। लेकिन एक दिन, जेठानी का पति एक दुर्घटना में मर गया।
जेठानी को अपने पति के निधन का गहरा शोक हुआ, लेकिन उसने अपने पति के प्रेम के लिए एक आदर्श बनाया और उसकी यादों को निरंतर याद किया। उसकी धार्मिकता और भक्ति ने लोगों की आकर्षण को आकर्षित किया और वे उसे एक देवी की स्थानीय अवतार मानने लगे। इस प्रकार, देवरानी जेठानी का मन्दिर बन गया और लोग वहाँ जाकर उनकी पूजा और आराधना करने लगे।
देवरानी जेठानी मन्दिर में यात्रियों को धार्मिक और मानसिक शांति मिलती है। इसकी सुंदरता, महत्त्व और पौराणिक महत्व इसे एक विशेष स्थान बनाते हैं। यहाँ के धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भाग लेने का एक अद्वितीय अनुभव होता है और यहाँ आपको अपने मन की चिंताओं से राहत मिलती है। देवरानी जेठानी मन्दिर आपकी आत्मा को शांति, संतोष और आनंद प्रदान करता है और आपको देवी जेठानी की कृपा का अनुभव कराता है।
यह मन्दिर स्थानीय और अन्य भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल भी है। इसके आसपास कई अन्य पर्यटन स्थल और धार्मिक स्थल भी हैं, जिन्हें आप देवरानी जेठानी मन्दिर की यात्रा के दौरान देख सकते हैं।
देवरानी जेठानी मन्दिर धार्मिकता, प्रेम और आस्था की महत्त्वपूर्ण संकेत करता है। यह एक स्त्री की शक्ति, समर्पण और पतिव्रता का प्रतीक है और लोगों को इन महत्वपूर्ण गुणों को आदर्श बनाने के लिए प्रेरित करता है। देवरानी जेठानी मन्दिर में यात्रा करने से मन की शांति और ध्यान की प्राप्ति होती है और यह आपको सुखी और प्रकाशमय जीवन की ओर आग्रह करता है।
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