Raipur: बीए-बीकॉम और बीएससी वालो को 16 जून से प्रवेश लिया जाएगा, इस साल भी लागू नहीं किया जाएगा सेमेस्टर पैटर्न

रायपुर में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार यह तय हो गया है कि इस साल भी यानी 2023-24 में बीए, बीकॉम, बीसीए और बीएससी के डेढ़ लाख से ज्यादा छात्र पुराने पैटर्न में ही पढ़ाई करेंगे। यानी सालभर पढ़ाई के बाद एक बार ही वार्षिक परीक्षा होगी। पिछले साल यह माना जा रहा है कि ऑटोनोमस कॉलेजों की तरह बाकी कॉलेजों में भी सेमेस्टर सिस्टम लागू हो सकता है।
कोरोना की वजह से पिछले तीन साल तक रविवि की परीक्षाएं ऑनलाइन हुई थी। इसका असर इस साल नतीजों पर भी हो रहा है। जिससे बीकॉम के नतीजे पिछले तीन साल के नतीजों की तुलना में बेहद कमजोर रहे है।
छत्तीसगढ़ और डिग्री गर्ल्स कॉलेज में सेमेस्टर सिस्टम लागू किया गया था। बताया जा रहा है कि इन कॉलेजों में नतीजे बेहतर नहीं आए हैं। इसी वजह से उच्च शिक्षा विभाग बाकी कॉलेजों में सेमेस्टर सिस्टम लागू करने से बचा जा रहा है। शहर का कॉलेजों को अभी तक इस संबंध में कोई भी जानकारी नहीं मिली है।
यह तय माना जा रहा है कि बाकी कॉलेजों में सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं होगा।और दसवीं-बारहवीं बोर्ड परीक्षा के बाद अब कॉलेजों में एडमिशन शुरू होने वाले हैं। इसके लिए छात्रों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जिससे कॉलेजों में नया सत्र 16 जून से शुरू हो जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग जल्द ही शैक्षणिक कैलेंडर में भी जारी की जाएगी।
पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेजों में पुराना पैटर्न लागू होने के साथ ही रविवि अध्ययनशाला में भी तीन वर्षीय पाठ्यक्रम ही लागू होगा। विवि में करीब 34 विषयों की पढ़ाई कराई जाती है। इनमें अच्छी-खासी सीटें हैं। छात्र बड़ी संख्या में यह प्रवेश भी लेते हैं।
पं. रविशंकर शुक्ल से अभी तक बीकॉम और बीसीए के नतीजे जारी हो चुके हैं, लेकिन बीए, बीएससी समेत बाकी ग्रेजुएशन परीक्षाओं के नतीजे अगले महीने जारी होंगे। इन सभी विषयों की परीक्षा पहले ही हो गई है। नतीजे जारी करने के लिए विवि में इसकी तैयारी पूरी हो गई है। पिछले साल कोरोना के दौरान घर से आंसरशीट लिखने की वजह 98% तक छात्र पास हो गए थे।अब इस साल यह आंकड़ा 50 फीसदी में ही सिमटकर आया है। छात्रों की लिखने की प्रैक्टिस छूटने और घर से पेपर लिखने की आदत की वजह से फेल वालो छात्रों की संख्या बढ़ रही है।
इसे भी पढ़े :- Bilaspur: रतनपुर मार्ग पर पुल के टूटने से यातायात वालो को परेशानी, 50 साल पुराने जर्जर पुल का मरम्मत नहीं हुआ था