सीएम भूपेश बघेल ने खुद ही लोक कलाकारों के साथ सेल्फी ली

प्रस्तावना
छत्तीसगढ़ राज्य में संगणक संचालन ने एक नया मोड़ लिया है। नवीनतम समाचारों के मुताबिक, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद ही लोक कलाकारों के साथ एक सेल्फी ली है। इस अनोखी पहल के माध्यम से, सीएम बघेल ने लोक कला को मान्यता और प्रशंसा दी है। इस लेख में हम इस आयोजन के बारे में और छत्तीसगढ़ की लोक कला के महत्व के बारे में जानेंगे।
खुद ही लोक कलाकारों के साथ सेल्फी
छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री, भूपेश बघेल ने हाल ही में एक खास कार्यक्रम में शामिल होकर अपनी एक सेल्फी ली है। इस कार्यक्रम में, सीएम बघेल ने संगणक संचालन के नए नीतियों का उद्घाटन किया है और उन्होंने खुद ही लोक कलाकारों के साथ फोटो खिंचवाई है। यह एक महत्वपूर्ण पहल है जो लोक कला को प्रशंसा और प्रमोट करने के लिए की जा रही है।
लोक कला का महत्व
लोक कला एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धारा है जो हमारे समाज की भूमिका को दर्शाती है। यह हमें हमारी विरासत, सांस्कृतिक विविधता, और समृद्धि की ओर दिशा प्रदान करती है। लोक कला के माध्यम से, हमारी संस्कृति, रीति-रिवाज, और सांस्कृतिक मूल्यों को बचाए रखा जाता है। यह लोक कला को न केवल वर्चस्वपूर्ण बनाता है, बल्कि यह इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित रखने में मदद करता है।
संगणक संचालन के नए नीतियों का उद्घाटन
संगणक संचालन मंत्री ने इस कार्यक्रम में एक संबोधन दिया है और नए संगणक संचालन के नीतियों का उद्घाटन किया है। इन नई नीतियों का मुख्य उद्देश्य लोक कला को प्रशंसा करना और इसे बढ़ावा देना है। यह नीतियां लोक कला के संरक्षण, प्रदर्शन, और प्रशिक्षण को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।
छत्तीसगढ़ की लोक कला: विरासत और समृद्धि
छत्तीसगढ़ राज्य अपनी विविधताओं और रंगीनता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की लोक कला और संस्कृति उनकी विरासत को दर्शाती है और समृद्धि को बढ़ाती है। छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक कला आवाजों में छत्तीसगढ़ी, गौंडी, करैया, बारा, डोहरा, एवं रौफ, भिलाई गीत, गौंडी उत्सव, गौंडी नृत्य, और लोक वाद्य शामिल हैं।
संगणक संचालन मंत्री की संबोधन
संगणक संचालन मंत्री ने खुद ही लोक कलाकारों के साथ फोटो लेने के बाद एक संबोधन दिया है। उन्होंने बताया कि संगणक संचालन के नए नीतियों का उद्घाटन लोक कला के साथ जुड़े लोगों को सम्मानित करने और उन्हें प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण कदम है। वे आगे बढ़कर लोक कला को संरक्षित रखने और यहां की सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित रखने की प्रतिज्ञा की हैं।
लोक कला के बारे में जानकारी
लोक कला एक मूल्यवान संस्कृति है जो किसी विशेष समुदाय या क्षेत्र की पहचान है। इसमें गीत, नृत्य, वाद्य, शास्त्रीय संगीत, और कथा-कहानी शामिल होती है। यह संस्कृति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक बढ़ती है और लोगों को उनकी भूमिका और परंपरा से जोड़ती है। इसके माध्यम से, लोग अपनी संस्कृति को महसूस करते हैं और एक-दूसरे के साथ जुड़ते हैं।
छत्तीसगढ़ में लोक कला के प्रमुख आवाज
छत्तीसगढ़ राज्य की लोक कला कई प्रमुख आवाजों से बहुत समृद्ध है। यहाँ कुछ प्रमुख आवाजों का उल्लेख किया गया है:
- छत्तीसगढ़ी: यह छत्तीसगढ़ का मुख्य भाषा बोली जाने वाली भाषा है और इसके गानों में छत्तीसगढ़ी धुनों का विशेष महत्व है।
- गौंडी: यह छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तरी क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है और इसके गीत मंडली के रूप में प्रसिद्ध हैं।
- करैया: यह छत्तीसगढ़ राज्य के पश्चिमी भाग में बोली जाने वाली भाषा है और इसके गीतों में धार्मिक और सामाजिक संदेशों का प्रचार होता है।
- बारा: यह छत्तीसगढ़ राज्य की बोली जाने वाली भाषा है और इसके गाने विवाह, व्रत, और आदिवासी संगीत पर आधारित होते हैं।
- डोहरा: यह छत्तीसगढ़ राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है और इसके गानों में बुराइयों के खिलाफ लड़ाई के संदेश होते हैं।
- रौफ: यह छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तरी भाग में बोली जाने वाली भाषा है और इसके गानों में महिलाओं के जीवन और सामाजिक मुद्दों को उजागर किया जाता है।
संगणक संचालन का उद्घाटन कार्यक्रम
संगणक संचालन मंत्री ने खुद ही लोक कलाकारों के साथ सेल्फी लेने के बाद एक उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक कला कला के कलाकारों ने अपने प्रदर्शन दिखाए हैं और इससे लोगों को लोक कला का अनुभव हुआ है। इस कार्यक्रम में लोगों को लोक कला की विविधता का अनुभव करने का अवसर मिला है।
छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर
छत्तीसगढ़ राज्य अपनी सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर में लोक कला, लोक नृत्य, और लोक संगीत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर उनकी विरासत और इतिहास को दर्शाती है और यहाँ के लोगों की पहचान बनाती है।
संगणक संचालन योजना के लाभ
संगणक संचालन योजना के लाभों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- संगणक संचालन के माध्यम से लोक कला को संरक्षित रखा जा सकता है।
- यह लोक कला के प्रदर्शन और प्रशिक्षण को सुगम और सुरक्षित बनाता है।
- इससे लोगों को लोक कला का आनंद लेने का मौका मिलता है।
- यह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने में मदद करता है।
- संगणक संचालन योजना से लोगों के बीच लोक कला के प्रति जागरूकता बढ़ती है।
लोक कला के महत्वपूर्ण क्षेत्र
लोक कला कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रतिष्ठित है। कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों के नाम निम्नलिखित हैं:
- गायन: लोक कला में गायन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गाने में स्थानीय धुनों और गायन पद्धतियों का उपयोग होता है।
- नृत्य: लोक कला में नृत्य एक प्रमुख क्षेत्र है और यह भावनाओं को व्यक्त करने का एक माध्यम है।
- वाद्य: लोक कला में वाद्य एक अहम् भूमिका निभाता है और यह ध्वनि के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करता है।
- शास्त्रीय संगीत: लोक कला में शास्त्रीय संगीत भी महत्वपूर्ण है और यह गीत, राग, और ताल का उपयोग करता है।
- कथा-कहानी: लोक कला में कथा-कहानी का महत्वपूर्ण स्थान है और इसके माध्यम से किस्से और कहानियां सुनाई जाती हैं।
सांस्कृतिक संगणक संचालन का उद्घाटन
संगणक संचालन मंत्री द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक संगणक संचालन योजना का उद्घाटन किया गया है। इस योजना के अंतर्गत संगणक संचालन की नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके सांस्कृतिक कार्यों को संचालित किया जाएगा। यह योजना सांस्कृतिक कार्यों को और प्रभावी और सुगम बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है।
लोक कला मेले का आयोजन
संगणक संचालन मंत्री ने एक लोक कला मेले का आयोजन किया है। इस मेले में छत्तीसगढ़ की विभिन्न लोक कला आवाजों और प्रदर्शनों को प्रस्तुत किया जाएगा। यह मेला लोक कला के प्रेमी लोगों के लिए एक आकर्षण स्थल होगा और इससे लोग छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विविधता का आनंद ले सकेंगे।
संगणक संचालन योजना का समापन
संगणक संचालन मंत्री द्वारा आयोजित योजना का समापन किया गया है। इस योजना के माध्यम से लोक कला को संरक्षित रखने, संचालित करने, और प्रशंसा करने का प्रयास किया गया है। यह योजना लोगों को लोक कला के महत्व के बारे में जागरूक करने और सांस्कृतिक संगणक संचालन के फायदों का अनुभव कराने का उद्देश्य रखती है।
निष्कर्ष
इस लेख के माध्यम से हमने देखा कि छत्तीसगढ़ राज्य में संगणक संचालन मंत्री द्वारा लोक कला को महत्व दिया जा रहा है। इस कार्यक्रम में संगणक संचालन के नए नीतियों का उद्घाटन किया गया है और लोक कला के प्रमुख आवाजों का प्रदर्शन किया गया है। यह पहल लोक कला को प्रमोट करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने में मदद करेगी।
इसे भी पढ़े : – छत्तीसगढ़ में पहली बार भिलाई में शुरू हुई रोबोटिक सर्जरी, घुटने और कूल्हे के रिप्लेसमेंट के लिए विदेश से आयातित रोबोट