छत्तीसगढ़ की 5 अतभुत रहस्य / Secrets Of Chhattisgarh

1 . भूतेश्वर महादेव गरियाबन्द : –
हर साल बढ़ती है इस शिवलिंग की लम्बाई छत्तीसगढ़ के गरियाबन्द जिले के मारुदा गांव के घने जंगलो में एक प्राकृतिक शिवलिंग है. जो भूतेश्वरनाथ के नाम से जाना जाता है. यह विश्व की सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग है और इसके बारे में मान्यता यह है की हर साल इसकी लम्बाई 5 से 6 इंच बढ़ जाती है. यह जमीं से लगभग 18 फिट ऊंचा और 20 फिट गोलाकार है . लोगो के मुताबिक सैकड़ो साल पहले यह एक सोभा सिंग नाम का एक आदमी रहता था. एक शाम उसे अपने खेत से कुछ ही दूरी पर शिवलिंग की आकृति के एक टीले से सांड और शेर जैसी जानवरो की आवाज सुनाई दी. तब सोभा सिंग ने यह बात गांव वालो को बताई तो उन्होंने इस जानवरो की खोज करने की कोशिस की. लेकिन धुर-धुर तक कोई भी जानवर नहीं मिला तब इस किले के प्रति लोगो की आस्था बढ़ने लगी ये इसकी पूजा शिवलिंग के रूप में करने लगे लोगो के मुताबिक सबसे पहले इसकी उचाई कम थी लेकिन वक़्त के साथ इसकी उचाई बढ़ती गई.

2 . कुटुमसर गुफा :-
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले मुखियाला से करीब 40 किलो .मी. दक्षिण- पश्चिम दिशा में विश्व प्रसिद्ध कुटुमसर गुफा स्तिथ है. जमीन के सतह से 55 फिट नीचे 330 मी. तक की लम्बाई तक फैली गुफाओ में हजारो साल पहले आदिमानव रहा करते थे. अंदर कई हिसो में पानी है. जिसमे रहस्यमई अंधी मछली पाई जाती है. रहस्यमई गुफा और मछलियों को देखने यहाँ दुनिया भर से प्वरीज और रिसर्च आते है. इन रहस्यमई गुफाओ पर भूगोल शास्त्री लगातार स्टडी कर रहे है. गवरा तब है की कुटुमसर गुफाओ में सूरज की रोशनी नहीं पहुँचती जिसके कारण यहाँ आने वाले व्यक्ति पूरा तरह अँधा महसूस करता है वैज्ञानिको के मुताबिक इसमें लाखो साल तक रहने वालो मछलियों की आँखों का स्तितिमाल ख़तम हो गया है उनकी आँखों पर एक पतली सी छिली चार्ज भी है. जिससे पूरी तरह अंधी हो गई है.

3 . मैनपाट स्पंजी जमीन : –
मैनपाट अपनी सुंदरता और ठंडे मौसम के कारण छत्तीसगढ़ के तिबत के नाम से मशहूर है . साल 1997 में यहाँ भूकम आया था जिसके बाद जमीन के अंदर के दबवा और खली जगहों पर पानी भर गया. इसी के चलते यहाँ के जमीन चलने पर कापने का अनुभव होने लगा. इसलिए यहाँ जमीन पर अब स्पंज की तरह मासूस होती है .

4 . टिनटिनी पत्थर : –
छत्तीसगढ़ के गरिमा में मौजूद टिनटिनी पत्थर को मंगल ग्रह से गिरा हुआ ऊर्जा पिंड माना जाता है.उल्का पिंड जब वायुमंडल में जब प्रवेश करता था तो उसमे आग लग जाती थी. जिसकी उसे सरचना में काफी बदलाव आ जाते थे. इसी के चलते टिनटिनी पत्थर को बजाने से छह अलग-अलग तरह की आवाज आती है. इसलिए इसे टिनटिनी पत्थर कहा जाता है.

5 . फरसाबहार नागलोक जशपुर : –
छत्तीसगढ़ के नागलोक बिलासपुर इलाके में मौजूद फरसाबहार गांव को नागलोक के नाम से जाना जाता है. इस गांव में सिर्फ चालीस प्रकार के साफ पाए जाते है. और दुनिया के सबसे 6 प्रजातियों में से 4 प्रजातियां मिलती है. बारिश के दिनों में इनमे रहने वाले जगहों में पानी भर जाता है. तो ये सब सुखी जगहों में आ जाते है. यहाँ स्नेक पार्क बनाने के प्लानिंग भी है. जिसमे एंटीवेगम के साफों का शहर भी निकाला जाएगा.

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